समेकित बाल विकास सेवा योजना
समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के सम्पूर्ण शारीरिक विकास एवं जीवन स्तर को ऊपर उठाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा समेकित बाल विकास सेवा (आई०सी०डी०एस० ) प्रारम्भ की गयी। योजना प्रभावी क्रियान्वयन हेतु 1985 में बाल विकास सेवा एंव पुष्टाहार विभाग की स्थापना की गयी। वर्तमान में देश की अधिकांश जनसंख्या बाल विकास सेवा के अन्तर्गत आ चुकी है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के शिशुओं तथा गर्भवती-धात्री महिलाओं, किशोरी बालिकाओं के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा कर उनकी मृत्यु दर कम करने तथा 0 से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती धात्री महिलाओं को पोषण स्वास्थ्य व शिक्षा के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने समेकित बाल विकास सेवा योजना का प्रारम्भ किया।
समन्वित बाल विकास कार्यक्रम की सेवायें:
1. अनुपूरक पोषाहार
2. टीकाकरण
3. स्वास्थ्य जाँच
4. पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा
5. स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा,
6. निर्देशन एवं सन्दर्भ सेवायें
उद्देश्य:
1. 0 से 6 वर्ष के बच्चों में पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाना एवं स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना।
2. जन्म दर मृत्यु दर एवं स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति को कम करना।
3. बच्चों में शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास की नींव डालना।
4. 11 से 45 वर्ष की महिलाओं का पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा का विकास करना।
5. अन्य विभागों से तालमेल बनाना।
पात्र लाभार्थी:
1. 0 से 6 माह के बच्चे 2. 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे
3. गर्भवती/धात्री महिलायें 4. 0-5 वर्ष के कुपोषित बच्चे
5. 11-14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाएं
उपरोक्त सभी वर्गों की पहचान कर आगंनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा आगंनवाडी के केन्द्र पर पंजीकृत करना। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जनपद में 2855 आगंनवाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे है इन केन्द्रों पर वर्तमान में (06 माह से 03 वर्ष के 121778, 3-6 वर्ष के 76260 बच्चे एवं 56395 गर्भवती/धात्री महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। आगंनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा आगंनवाडी केन्द्र पर 0 से 5 वर्ष के बच्चों में पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने हेतु वजन लेना एवं अति कुपोषित बच्चों को इलाज हेतुं पोषण पुर्नवास केन्द्र सन्दर्भित करना। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 3845 ग्राम स्वास्थ पोषण सत्र आयोजित किये गये, समुदाय आधारित कार्यक्रमों में बाल विकास विभाग के अन्तर्गत विभाग द्वारा जारी गतिविधि कैलेण्डर के अनुसार माह में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इससे समाज में व्यापक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन हुआ है। बच्चों के जन्म से लेकर छः माह तक केवल मां का दूध तथा छः माह के बाद ऊपरी आहार के संबंध में उनके अन्दर जागृति पैदा हुयी है, वहीं गोद भराई के माध्यम से गर्भवतियों के तीन माह से नौ माह तक विशेष टीकारण, हीमोग्लोबिन की जांच तथा प्रसव के समय महत्वपूर्ण बातों पर लोगो में जन जागरूकता हुयी है।