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संस्कृति और विरासत

मोदीनगर

गाजियाबाद से मेरठ जाने वाली सड़क पर मुरादनगर से आगे मोदीनगर है। पहले यह 573 एकड़ क्षेत्र का एक गांव बेगमाबाद कहलाता था, जिसे नवाब जफर अली ने बसाया। मगर उसने दिल्ली की शाही बेगम को सम्मान देने के लिए इसका नाम बेगमाबाद रखा। 1945 तक मोदीनगर, टाउन एरिया था मगर 1963 में इसे नोटीफाइड एरिया बना दिया गया। अब यह तहसील है। 19वीं शताब्दी में रानी वालाबाई सिंधिया द्वारा निर्मित एक मंदिर अभी भी यहां है।
वर्तमान मोदीनगर की स्थापना 1933 में उद्योगपति गुजरमल मोदी ने की। तब इसका नाम बदल कर मोदीनगर कर दिया गया। पर्यटकों के आकर्षण के लिय लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, मोदी उद्यान, शीतला देवी मन्दिर, मोदी भवन विशेष दर्शनीय है।

लोनी

तहसील लोनी का इतिहास बहुत प्राचीन है। पौराणिक मान्यता है कि यह मथुरा के राजा लवणासुर का शिकार स्थल था। उसका यहां किला भी था। शत्रु ने यहीं पर लवणासुर का वध किया था।

हिंदू काल में यहां एक सुदृढ़ दुर्ग़ था। राजा सबकरन का किला भी यहां था इसे 1789 ई. में मोहम्मद शाह ने तुड़वा दिया था। इल्तुतमिश ने आक्रमण कर हिंदू राजाओं से यहां की सत्ता छीन ली। इतिहास के दस्तावेजों के अनुसार सुल्तान नासिरुद्द्दीन महमूद का लालन-पालन यहीं रह कर हुआ। सुल्तान नासिरुद्द्दीन इल्तुतमिश का पोता था।

डासना

डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार, डासना का निर्माण सालारसी नाम के राजपूत राजा द्वारा किया गया था, जो मोहम्मद गजनी के शासनकाल के दौरान डासना मे बस गए थे। वह राजा अपने कुष्ठ रोग को दूर करने के लिए गंगा स्नान करने गढ़मुक्तेश्वर गया था। उसे गंगा में स्नान करने से फायदा हुआ उसने डासना बसाया और यहां रहने लगा। यहां उसने किला बनवाया। इस किले की नींव खुदवाते समय राजा के एक आदमी को सांप ने डस लिया। उसी की याद में गांव का नाम डासना रखा गया।

इस गांव पर अहमदशाह अब्दाली ने 1760 में हमला किया और इस किले को तुड़वाया। यहां एक प्राचीन देवी मंदिर है। सन 1857 की क्रांति के समय यहां देशभक्तों को फांसी पर लटकाने के लिए अंग्रेजों ने फांसी घर बनवाया था।